एमएसएमई सेक्टर के लिए घोषित 3 करोड़ के पैकेज में छोटे व्यापारियों को होगा लाभ!

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कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्र सरकार के एमएसएमई सेक्टर को दिए तीन लाख करोड क्रेडिट पैकेज के तहत व्यापारियों को शामिल करने की स्पष्टता के लिए आज केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस योजना के दायरे में सभी व्यापारियों को शामिल किया जाना चाहिए, न कि केवल उन लोगों के लिए जो बैंकों के मौजूदा कर्जदार हैं। योजना के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार केवल बैंकों के मौजूदा उधारकर्ताओं के लिए ही यह लागू है जबकि व्यापारियों का बहुत बड़ा वर्ग बैंकों से ऋण नहीं ले रहा है और इस तरह के सभी व्यापारी इस योजना से वंचित होंगे !
गुजरात रीजनल चैप्टर के प्रमुख प्रमोद भगत ने बताया कि कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त करते हुए कहा की भारत में लॉकडाउन के कारण उत्पन्न होने वाले तरलता संकट से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री ने गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन योजना का लाभ व्यापारियों को भी मिले। यह स्पष्टता करते हुए कैट के अनुरोध का संज्ञान लिया है । कैट ने वित्त मंत्री और वाणिज्य मंत्री को 12 मई को वित्त मंत्री द्वारा घोषित एमएसएमई सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ पैकेज के तहत भारत के व्यापारियों को भी शामिल करने का smallअनुरोध किया था !

भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे बताया कि नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कॉरपोरेशन ने इस योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और स्पष्ट किया है कि एमएसएमई / व्यवसाय जो एमएसएमई के रूप में पंजीकृत नहीं हैं वे भी इस योजना के पात्र हैं। इस नई गारंटी योजना मे बैंको द्वारा यह क़र्ज़ देते हुए एक नया ऋण खाता बनाया जाएगा जो उधारकर्ता के मौजूदा ऋण खाते से अलग होगा।

12 महीने की तक की मोहलत के साथ 4 साल की अवधि के लिए प्रदान किए गए ऋण पर बैंकों के लिए ब्याज दर 9.25% और एनबीएफसी के लिए 14% तय की गई है। सभी व्यापारी जिनके पास बैंकों का 25 करोड़ तक का बकाया ऋण है, और 100 करोड़ तक की वार्षिक टर्नओवर है, वो इस योजना के अंतर्गत बैंकों से ऋण ले सकेंगे !

उन्होंने आगे कहा कि कोविद -19 लॉकडाउन ने खुदरा व्यापारियों को गंभीर रूप से चोट पहुंचाई है। पिछले 60 दिनों में देश का खुदरा व्यापार में अनुमानित 9 लाख करोड़ से अधिक के व्यापार का नुकसान हुआ हैं। कैट का अनुमान है कि महामारी के आने से पहले खुदरा व्यापार 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का दैनिक कारोबार करता था । उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कि नुकसान बढ़ते जा रहे हैं और व्यापार को पुन जीवित करना बेहद मुश्किल काम है जिसके कारण लगभग 20% भारतीय व्यापारियों को स्थायी रूप से दुकान बंद करने की संभावना है।

योजना के तहत व्यापारियों को शामिल करना सरकार का एक स्वागत योग्य कदम है, हालांकि भारतीय व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग बैंकों या एनबीएफसी के मौजूदा ग्राहक नहीं हैं, इसलिए इस योजना के दायरे को ऐसे सभी व्यापारियों को भी शामिल करना चाहिए। ताकि पैकेज का लाभ एक बड़ी आबादी तक पहुंचाया जा सके !