सूरत
सूरत में रहने वाले यूपी बिहार के लाखों लोगों को कोरोना के समय में वापिस लौटने के लिए राज्य सरकार से मंज़ूरी नहीं मिल सकी है। रोज़ी रोटी के लिए सूरत को अपनी कर्मभूमि बनाने आए यूपी और बिहार के लाखों लोगों को कोरोना के कारण जान जीना मुश्किल हो गया है। ऐसे में वह जब यूपी और बिहार अपने अपने वतन लौटना चाहते हैं। ऐसे संकट में ही यूपी और बिहार की सरकारें उन्हें वापस आने के मुददे पर मौनधारण कर बैठी हैं। इसलिए सूरत में फंसे श्रमिकों की हालत दयनीय हो गई है। ओड़िशा सरकार ने जहां अपने श्रमिकों को वापस लेने की स्वीकृति दे दी है, वहीं यूपी और बिहार सरकार अभी इस बारे में फैसला नहीं ले सकी हैं ।
परिवार का खर्च कैसे चलाए?
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के कारण सूरत में हज़ारों कपड़ा कारखाने, हीरा कारखाने, एंब्रॉयडरी यूनिट सहित तमाम व्यापार उद्योग बंद है। इन में काम करने वाले लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं ।
शुरुआती कुछ दिनों में तो इन्होंने जैसे तैसे खर्च चला लिया लेकिन, अब रुपए खर्च हो जाने के कारण परिवार का वहन कर पाना मुश्किल हो रहा है , रोज लाइन लगाकर सामाजिक संस्था और राज्य सरकार से मिलने वाली मदद के सहारे अपना जीवन चला रहे हैं लेकिन ,ऐसा कब तक चलेगा यह सोचकर श्रमिकों ने अपने वतन लौट जाने की गुहार राज्य सरकार से लगाई है ।राज्य सरकार भी इस गंभीरता को समझती है इसलिए राज्य सरकार ने यूपी और बिहार से उनके श्रमिकों को वापस लेने के सिलसिले में संवाद किया लेकिन ,अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है जिसके चलते लाखों यूपी और बिहार के श्रमिक सूरत में ही फंसे हैं ।
यूपी, बिहार चुप, ओड़िशा ने दी मंज़ूरी
एक ओर यूपी और बिहार जहां इस मुद्दे पर मौन धारण किए वहीं ओडिशा सरकार ने अपने श्रमिकों को वापस लेने के लिए मंजूरी दे दी है ।मंगलवार को उड़ीसा की कुछ नई बसें रवाना हो गई वहीं यूपी के लिए जिन बसों ने मंजूरी मांगी थी जो कि नहीं स्वीकार की गई ।
कलेक्टर ऑफिस में बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोगों ने अपने वतन जाने के लिए मंजूरी मांगी थी लेकिन कलेक्टर ने भी अपने कार्यालय के बाहर बोर्ड में सिर्फ उड़ीसा को परमिशन मिलेगा यह स्पष्ट बता दिया गया है फिलहाल तो उड़ीसा के श्रमिकों के लिए राहत भरे समाचार हैं कि उड़ीसा से मंजूरी मिल जाने के कारण शहर में बसने वाले श्रमिकों को अपने वतन जाने का मौका मिलेगा।