सूरत
लॉकडाउन के कारण जीवन जीना मुश्किल होने से अब यूपी और बिहार के लाचार श्रमिकों ने सड़क और रेलवे ट्रेक के रास्ते से वतन जाने की राह पकड़ ली है ।कुछ श्रमिकों ने साइकिल को ही अपना सहारा बनाया है।
मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के कारण सूरत में रहने वाले श्रमिकों की हालत दयनीय हो गई है ।कपड़ा उद्योग, हीरा उद्योग सहित तमाम उधोग बंद हो जाने से लाखों श्रमिक बेरोज़गार हो गए हैं ।अब तक सामाजिक संस्थाओं की ओर से मिल रही सहायता पर जी रहे थे लेकिन, कई क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाओं का सेवा कार्य बंद हो गया है । प्रशासन की ओर से मिल रही राशन की किट भी उन तक तक नहीं पहुँच रही है ।इसलिए उनके खाने के लिए भी कुछ नहीं है। डेढ महीने से कम्पनी बंद होने के कारण उनका वेतन भी अब समाप्त हो चुका है ।ऐसे में वह क्या करें ?
राज्य सरकार को बार बार अपने वतन लौट जाने की गुहार लगाने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आखिर लाचार होकर श्रमिकों ने रात के अंधेरे में पैदल ही निकलने का फ़ैसला किया है । उधना, पांडेसरा, लिंबायत आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रमिक रात को पैदल ही निकल लेते हैं ।जो कि आगे रेलवे या सड़क मार्ग पकड़कर चलते हैं जाते हैं । कुछ श्रमिक साइकल का सहारा ले रहे हैं। पांडेसरा पुलिस में बुधवार की रात को कई लोगों को पकड़कर वापिस भेज दिया।पुलिस की नज़र में आ जाते हैं वह वापस आ जाते है नही तो फिर राम भरोसे अपने आगे का रास्ता तय करते हैं ।
आपको बता दें कि सूरत में इन दिनों लॉकडाउन के चलते अपने दयनीय हालत अन्य राज्यों के श्रमिकों की है काम बंद होने से वेतन नहीं मिल रहा दूसरी ओर घर के खर्च लगे हैं । इन समस्याओं के बीच श्रमिक घिरे हुए हैं ।उड़ीसा सरकार में वहाँ के श्रमिकों के लिए लौटने की मंज़ूरी दे दी है, लेकिन UP और बिहार के श्रमिकों और वहाँ की सरकारों ने अभी कुछ जवाब नही दिया है ।बात यहीं पर अटकी हुई है ।वहीं कई श्रमिकों का कहना यह है कि अगर मंजूरी मिल भी जाती है तो बस वाले 5 हज़ार रुपया पर मांगते हैं इतने रुपये उनके पास नहीं है ।अगर इतने रुपए होते तो वतन जाते ही क्यों ?कुल मिलाकर अन्य राज्यों के श्रमिकों की हालत दयनीय है ।प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर एक बार सूरत से श्रमिक चले गए तो जल्दी नहीं लौटेंगे।