सूरत। श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन पाल में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा निश्रा में भव्य चतुर्मास हो रहा हैं। रविवार 6 अक्टूबर को मनितप्रभजी म. सा. ने प्रवचन में कहा कि आत्मा की साधना के लिए पुरूषार्थ चाहिए। हमारा पुरूषार्थ सब पदार्थ को लेकर हुआ है। शरीर, साधन, पदार्थ, रहन-सहन की सुविधा इसको लेकर हमारी उर्जा अधोगामिनी हुई है। हमें हमारे जीवन का निरीक्षण करने की जरूरत है कि हमारी उर्जा कहां जा रही है। मन, तन, धन, विचार, बुद्धि शक्तियां कहां जा रही है। वृद्धों को समाधि मरण के लिए जागना और उर्जा का प्रयोग करना जरूरी है। वहीं बालकों को अपने भविष्य के लिए जागना और उर्जा का प्रयोग करना जरूरी है।
महितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि संसार में जितनी व्यवस्था है, वह चिंता का कारण है। और वर्तमान में वह हम पर हावी हो रही है। जीवन में विवेक बहुत जरूरी है। आप गर्वेमेंट का टैक्स रूपये देकर चुका सकते है, लेकिन कर्म सत्ता का टैक्स कैसे चुकाएंगे? आप स्वीमिंग पूल में तैरना चाहते है, लेकिन संसार के इस भव सागर से तैरना नहीं चाहते है। जो व्यक्ति धर्म में संतोष करता है, वह संसार में घमंड करता है और जो व्यक्ति संसार में संतोष करता है, वह सिद्धीपद को प्राप्त करता है।
ओलीजी प्रारंभ आसोज सुदी 6 बुधवार 9 अक्टूबर 24ओलीजी पूर्णाहुति, आसोज सुदी पूनम गुरुवार 17 को ओलीजी का पारणा एवं श्री संघ स्वामीवात्सल्य कार्तिक वदी 1 शुक्रवार 18 अक्टूबर को होगा।संघ की ओर से ओलीजी करने की भावना रखें और उसका लाभ लेने की अपील की है।खरतरगच्छ युवक परिषद के अध्यक्ष मनोज देसाई ने बताया कि 15 दिन की सूर्य मंत्र पीठिका आराधना के लिए आचार्य भगवान 4 अक्टूबर को गाजे बाजे व धूमधाम से सुरी मंत्र पीठिका साधना खण्ड में पधारे।15 दिन की पीठिका मौन साधना की पूर्णाहुति 19 अक्टूम्बर को महापूजन के साथ होगी। 20 अक्टूम्बर को आचार्य प्रवर पीठिका से बाहर दर्शन देंगे।