श्रमिकों को लेने यूपी पहुँचे लेबर कोन्ट्राक्टर,श्रमिकों ने निकाल दी भड़ास! जानिए कैसे?

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लॉकडाउन डाउन के बाद सूरत में अब व्यापार उद्योग खोलने लगे हैं। हीरा और लूम्स कारखाने खुल गए हैं। सभी जगह उत्पादन धीरे-धीरे शुरू होने लगा है। लेकिन 60% से अधिक श्रमिक यूपी बिहार झारखंड उड़ीसा आदि राज्यों में चले जाने के कारण अभी तक व्यापार अपने पहले के रंग में नहीं आ सका है।

श्रमिकों को लेने के लिए उद्यमी और लेबर कांट्रेक्टर यूपी, बिहार, उड़ीसा आदि राज्यों के लिए निकल पड़े हैं। लेकिन उन्हें कड़वा अनुभव मिल रहा है। लॉकडाउन डाउन के दौरान जब श्रमिकों को घर घर चलाने के लिए रुपए, खाने के लिए अनाज की जरूरत थी कई उद्यमियों और लेबर कांट्रेक्टर ने मुंह मोड़ लिया था। यहां तक कि उनके फोन उठाने भी बंद कर दिए थे।

ऐसे में श्रमिक भूखे प्यासे जैसे तैसे करके अपने गांव तो चले गए हैं। लेकिन अब वह गांव से आने के लिए तैयार नहीं है। लोगों के पास रुपए नहीं होने के कारण कई श्रमिक तो पैदल ही गांव चले आए कुछ साइकिल पर और कुछ अपनी ज्वेलरी आदि बेचकर गांव तक पहुंचे हैं। अब जब लेबर कांट्रेक्टर उन्हें लेने के लिए उनके गांव जा रहे हैं तो श्रमिक उन्हें गालियां देकर भगा रहे हैं।

यूपी में ऐसे ही घटना में कई लेबर कांट्रेक्टर को का सामना करना पड़ा। हालांकि जिन्होंने और लेबर कांट्रेक्टर में मुसीबत के उस दौर में श्रमिकों का साथ दिया उन्हें श्रमिक सम्मान भी दे रहे हैं। उनके साथ आने के लिए तैयार भी हो गए हैं। उत्तर प्रदेश गए एक उद्यमी ने बताया कि लॉकडाउन डाउन के दौरान जिन लोगों ने श्रमिकों की कदर नहीं की और उन्हें राम भरोसे छोड़ दिया था।

ऐसे लेबर कांट्रेक्टर को वहां के लोग ठहरने भी नहीं दे रहे हैं।गांव से भगा दे रहे हैं। हालांकि कई उद्यमियों ने अपने श्रमिकों को रोकने का भरपूर प्रयास किया उन्हें महीने भर राशन दिया घर का भाड़ा दिया और तमाम जरूरतें पूरी कि ऐसे उद्यमियों को श्रमिक मान भी दे रहे हैं। उनके साथ आने के लिए भी तैयार हो गए हैं। लेकिन यूपी की बात करें तो यूपी की सरकार ने वहां से श्रमिकों को लाने के पहले रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है।

इसलिए जो भी उद्यमी या लेबर कांट्रेक्टर वहां गए हैं उनको सबसे पहले सरपंच के पास जाकर अपना पहचान पत्र और संपर्क नंबर देना होगा। इसके बाद सरपंच के निर्देशानुसार वहां की कलेक्टर से परमिशन लेनी होगी। इतनी लंबी चौड़ी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही अब यूपी से श्रमिकों को लाया जा सकता है। हालांकि इतनी दिक्कत के बाद अपने गांव पहुंचे श्रमिक अब जल्दी आने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।

यूपी के कई जिलों में अच्छी बारिश होने के कारण कई किसान तो अब खेती के लिए ही वहां पर रुक गए हैं जो कि 3 महीने के बाद लौटेंगे। इसके अलावा मनरेगा योजना में भी लोगों को रोजगार मिलने का आश्वासन होने से वह शहर आने को तैयार नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि सूरत में तो बड़ी तेजी से कोरोनावायरस फैल रहा है ऐसे में यदि एक बार लॉकडाउन डाउन फिर से लग गया तो वहां जाने का कोई फायदा नहीं होगा।

एक बार जैसे तैसे लौट कर आए हैं। ऐसे में दोबारा यदि फस गए तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी इन सबके चलते श्रमिक अभी सूरत आने में कतरा रहे हैं। सूरत के कपड़ा उद्योग को सहित तमाम उद्योगों को श्रमिकों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है ।

इसी तरह से ओडिशा में भी वहां के श्रमिकों ने संगठन बना लिया है। उनका कहना है कि ओडिशा सरकार अब गुजरात सरकार से बात कर ओडिशा के श्रमिकों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करवा देगी तभी वहां के श्रमिक वापस लौट आएंगे।