सूरत
राज्य सरकार की ओर से कोरोना के बाद बेरोजगार हो चुके लोगों को मदद करने के लिए और छोटे व्यापारियों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से आत्मनिर्भर योजना शुरू की गई है। इस योजना में ₹100000 तक की लोन बिना गारंटी के देने की बात कही जा रही है।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से 5000 करोड रुपए के इस पैकेज में वास्तव में तो राज्य सरकार सिर्फ 6% ही देने के लिए जिम्मेदार है। मतलब कि सिर्फ 300 करोड रुपए की जिम्मेदारी राज्य सरकार ले रही है बाकी की जिम्मेदारी बैंकों की होगी इस कारण बैंकों के अधिकारियों में निराशा है। वह इस योजना में ज्यादा उत्साहित नहीं है।
बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैंकर्स का कहना है कि यदि लोगों को लोन दी जाए और उनसे कोई गारंटी न ली जाए तो वह रकम वापस आएगी कि नहीं? इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इससे एनपीए बढ़ने की संभावना है।बैंकों का कहना है कि यदि वह लोन देते हैं और अकाउंट एनपीए हो जाता है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी उन्हें सुनना पड़ेगा।
ऐसे में इस योजना की सफलता को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगी हैं। एक और राज्य सरकार जोर शोर से आत्मनिर्भर योजना की प्रशंसा कर रही है वहीं दूसरी और बैंक के अधिकारियों में इस योजना को लेकर निराशा देखी जा रही है। इस योजना को लेकर राजनीति भी गरम हो गई है।
कांग्रेस ने इस योजना को मात्र एक छलावा बताया है जबकि भाजपा इस योजना को गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए उपयोगी बता रही है फिलहाल 1 जून तक के लिए कई बैंकों ने इस योजना के लिए फॉर्म देना बंद कर दिया है कुछ स्पष्टता के बाद ही वह फॉर्म वितरण करना शुरू करेंगे।