सूरत
सूरत के कपड़ा व्यापारी अलग-अलग कर हर साल करोड़ों रूपए सरकार को टैक्स के तौर पर जमा करते हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार की चौखट पर सुनवाई कम होती है, लेकिन यह होने के बाद शायद सूरत के कपड़ा व्यापारियों की आवाज़ सरकार के कान तक पहुँच जाए!
कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और फेडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर एसोसिएशन ने मिलकर सूरत के कपड़ा व्यापारियों का डाटा बनाना शुरू किया है ।इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है ।इसके लिए व्यापारियों को ऑनलाइन फ़ॉर्म भेजे गए है।
मज़बूत होगी सूरत के कपड़ा व्यापारियों को दावेदारी
कैट और फोस्टा ने संयुक्त तौर पर शुरू की इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य सरकार के समक्ष किसी भी माँग में अपनी दावेदारी मजबूत करना है ।फोस्टा के महामंत्री चंपालाल बोथरा का कहना है कि सूरत के कपड़ा व्यापारी मैन्युफ़ैक्चरर ट्रेडर है। किसी भी विपरीत समय में ज़्यादा नुक़सान उन्हें ही होता है। लेकिन किसी भी मुसीबत के समय केंद्र सरकार से कपड़ा व्यापारियों के लिए मदद की गुहार लगाई जाती है तो सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि कपड़ा व्यापारियों का कोई डाटा उनके पास उपलब्ध नहीं है ।इसलिए पिछले कड़वे अनुभव को देखते हुए कपड़ा बाजार के तमाम व्यापारियों और उससे जुड़े लोगों का डाटा तैयार किया जा रहा है ।
कपड़ा बाज़ार से जुड़ें लोग होंगे शामिल
गुजरात चैप्टर के प्रमुख प्रमोद भगत ने बताया कि फिलहाल यह प्राथमिक चरण में है डाटा में व्यापार से जुड़े हुए सभी व्यापारियों को रजिस्टर्ड किया जाएगा और कपड़ा व्यापार में उनसे जुड़े तमाम व्यवसायियों को भी शामिल किया जाएगा ।इससे सूरत का कपड़ा बाजार कितना बड़ा है इस पर कितने लोग निर्भर हैं ,और कितना व्यापार होता है आदि की जानकारी सरकार के समक्ष पेश करने में तरलता होगी उल्लेखनीय है कि शहर का कपड़ा बाजार बंद है सूरत में कपड़ा मार्केट है इसमें 100000 तक व्यापारी होंगे , और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर 10 लाख से अधिक नौकरी करते हैं ।
करोड़ों का टर्नओवर लेकिन नहीं होती
सूरत के कपड़ा बाज़ार का टर्न ओवर प्रतिदिन 100 करोड़ रूपए से अधिक हैं। सूरत के कपड़ा व्यापारी हर साल आयकर, जीएसटी और स्थानीय टैक्स के तौर पर करोड़ों रूपए चुका देते हैं, लेकिन इसके बावजूद जब सरकार से व्यापारी कोई माँग करते हैं तब सरकार डाटा नहीं होने का कारण बता पल्ला झाड़ लेती है। खुद व्यापारी संगठनों के पास व्यवस्थित डाटा नहीं होने से कपड़ा व्यापार सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह गया है ।कोरोना के कारण सभी उद्योग हैं ऐसे में यदि डाटा तैयार हो जाता है तो सरकार के समक्ष अपनी बात रखने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।