सूरत
कोरोना की महामारी के लिए अब फिर से भारत के प्राचीन उपचार पद्धति आयुर्वेद का सहारा लिया जाने लगा है। गुजरात के सूरत में सिविल हॉस्पिटल में 10 आयुर्वेद चिकित्सकों को कोरोना के मरीजों के उपचार के लिए मंजूरी दे दी गई है।
मिली जानकारी के अनुसार अब तक कोरोना के मरीजों का थोड़ा-थोड़ा कर चरणबध्द ढंग से आयुर्वेद का उपचार किया जा रहा था, जिसमें सफलता मिलने के बाद अब सूरत के सिविल हॉस्पिटल में 10 डॉक्टरों की टीम को पूर्ण रूप से उपचार की इजाजत दे दी गई है।
सूरत में पहले से ही क्वॉरेंटाइन क्षेत्रों में लोगों को आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयां दी जा रही थी। लेकिन अब से प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की उपचार आयुर्वेद चिकित्सक करेंगे। गुजरात सरकार के आयुष विभाग की मार्गदर्शिका के अनुसार सूरत के को ओ. ही नाझर आयुर्वेद कॉलेज संलग्न आत्मानंद सरस्वती हॉस्पिटल कॉलेज के 10 डॉक्टरों की टीम सिविल हॉस्पिटल में कोरोना पीड़ितों का उपचार करेगी। इसम्ं में डॉ नरेश लंबोदर, डॉक्टर संजय, वर्मा निलेश ईरानी, तेजस गांधी, रजनीकांत मोदी, डॉक्टर कीर्ति बेन राजा, इंन्टर्न दीपिका भोजनी, निराली मालाणी, निराली गजेरा, कोरोना पीड़ितों को उपचार करेंगे।
आयुर्वेद कॉलेज के आरएमओ डॉ संजय वर्मा ने मीडिया को बताया कि फिलहाल अहमदाबाद, गांधीनगर, राजकोट और सूरत में पॉजिटिव मरीजों का आयुर्वेद से भी उपचार किया गया है। इसमें दशमूल, पथ्यादि, क्वाथ इनमें से बनाए गए काढ़ा मरीजों को पिलाया जाता है।इस कारण से मरीजों के फेफड़े का इन्फेक्शन दूर होता है। शक्ति बढ़ाने के लिए आयुष-६४ कैप्सूल दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि सिविल हॉस्पिटल में आयुर्वेद चिकित्सा को मंजूरी देने से पहले दो चरण में उसका जांच किया गया था।प्रथम चरण में क्वारंटाइन लोगों को आयुर्वेद की दवा देकर उनकी रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाई गई थी दूसरे चरण में जिन लोगों को पोरोना के लक्षण नहीं थे ऐसे लोगों को आयुर्वेद की दवाई देकर उन पर असर देखा गया वहां पर सफलता मिलने के बाद अब कोरोना के मरीजों पर नियमित ढंग से आयुर्वेद का उपचार किया जाएगा।
सूरत में कोरोना के 1100 के करीब मरीज मिल गए हैं। इनमें से 60 के करीब लोगों की जान जा चुकी है। अब तक करोना की दवाई नहीं मिल सकी है।ऐसे में यदि आयुर्वेद का उपचार पूर्ण रूप से कारगर साबित होता है तो पूरे दुनिया के लिए यह मिसाल बन जाएगा।