जिंदगी जीने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहने की लाचारी!

Spread the love

सूरत
लॉकडाउन के कारण श्रमिक बुरी तरह से लाचार हो गए हैं। उनके पास जीवन निर्वाह चलाने के लिए भी रुपया नहीं बचा हैं। केंद्र सरकारने ने महिलाओं के जनधन खाते में पाँच रुपये जमा करने के बाद यह रूपया को निकालने के लिए महिलाएं बैंक के आगे घंटो भर लाइन लगाकर खड़ी रहती हैं।

जमा पूँजी समाप्त होने से मुसीबत शुरू
कोरोना के कारण देश भर में लॉकडाउन है ।सूरत में भी दो सप्ताह से अधिक समय से लॉकडाउन चल रहा है ।इसके कारण कारख़ाने आदि बंद हो चुके हैं ।सूरत में ज़्यादातर लोग श्रमिक वर्ग के हैं जो कि जीवन यापन के लिए नौकरी पर ही आधारित हैं। इन दिनों काम धंधा बंद हो जाने के कारण वह बेरोज़गार हो गए हैं ।अब तक तो उनके अपने पास बची पूंजी से काम चलाया, लेकिन अब उनके पास जीवन यापन के लिए भी रुपया नहीं है ।

सरकार और सामाजिक संगठन का सहारा

ऐसे में उन्हें जीवन जीने के लिए सामाजिक संगठनों का सहारा लेना पड़ रहा है ।इसके बावजूद उनकी हालत पतली हो गई है ।कई लोगों के पास जेब ख़र्च के रूप में भी नहीं है। वह अब वह एक दूसरे से उधार लेकर कर काम चला रहे हैं लेकिन, सभी बेरोज़गार होने के कारण वहाँ भी दिक़्क़त आ रही है ।एक एक एक रुपये के लिए परेशान श्रमिकों की नज़र अब सरकार पर टिकी हैं ।हाल में केंद्र सरकार की ओर से महिलाओं के जनधन खाते में पाँच सौ रुपये जमा किए गए ।इस रुपये के लिए बीते तीन चार दिनों से महिलाएँ कड़ी धूप में बैंक के आगे लाइन लगाकर खड़े रहती हैं ।

कोरोना के भय पर भारी भूख

लाचारी इतनी है कि कोरोना का भय भी यहाँ ख़त्म हो जाता है ।सोशल डिस्टैंस तो ठीक लोगों को मास्क पहनने का भी ख्याल नहीं रहता ।यदि लॉकडाउन आर बढ़ता है तो श्रमिक वर्ग की मुसीबतें बढ़ जाएंगी। प्रशासन को श्रमिक वर्ग की समस्या सुलझाने के लिए और प्रयास करने होंगे ।

श्रमिक कर चुके हैं बवाल

ग़ौरतलब है कि शुक्रवार की रात लसकाणा क्षेत्र में कई श्रमिकों ने वतन जाने की माँग के साथ तोड़फोड़ की और आग आग लगा दी ।इससे पहले भी पांडेसरा क्षेत्र में ऐसी ही घटना हो चुकी है ।यदि लॉकडाउन बढ़ता है तो सरकार को पर प्रांतीय श्रमिकों की समस्या सुलझाने के लिए आर कड़े प्रयास करने पड़ेंगे।