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सूरत
सूरत के लाखों श्रमिकों की माँग सरकार के कान तक पहुँच ही गई।डेढ़ महीने से लॉकडाउन के कारण फंसे मध्यप्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा के लोगों को अपने घर जाने के लिए जिला प्रशासन ने व्यवस्था कर दी है। अब शहर में बसने वाले इन तीनों राज्यों के प्रवासी अपने वतन में जा सकेंगे
केन्द्र सरकार की ओर से बुधवार को जारी किए गए निर्देश के अनुसार यह व्यवस्था की जा रही है। इस व्यवस्था में जिले की सरहदों पर चार अलग-अलग जगहों पर चेक पोस्ट बनाई गयी हैं। जो लोग वतन जाना चाहते है उन लोगों को संबंधित चेक पोस्ट से अपने घरों को जाने वाले लोगो कों स्वीकृति लेनी होगी। यह चैक पोस्ट सूरत जिले के मांगरोल, पलसाणा, बारडोली और मांडवी तहसील में चेक पोस्ट बनाई गई हंै। प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने और बड़ी संख्या में लोगों के ट्राफ़िक की संभावना देखते हुए इन चेकपोस्ट पर 24 घंटों तक तीन शिफ्ट में रेवेन्यू, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मी तैनात रहेंगे।
सूरत में कपड़ा उधोग, हीरा उधोग और एम्ब्रॉयडरी में लाखों श्रमिक काम करते है जो कि लॉकडाउन के कारण लाचार हो गए थे। वह लंबे समय प्रशासन से अपने वतन जाने की माँग कर रहे थे, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से मंज़ूरी मिल जाने के बाद लॉकडाउन में फंसे मजदूर, छात्र और यात्रियों को अपने घर जाने के लिए अब कलक्टर या तहसीलदार कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सीधा अपना वाहन लेकर जाना होगा। सूरत जिला की सरहद पर बनाई गई चेक पोस्ट पर वाहन में सवार लोग और जहां जाना है वहाँ उन्हें अपने राज्य, ज़िला, गाँव और सभी यात्रियों के नाम के साथ पूरी डिटेल देने के बाद थर्मल स्क्रीनिंग करवा कर उनको जाने की मंजूरी दी जा रही है।जांच के दौरान कोरोना के संदिग्ध लक्षण मिलने वाले लोगों को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
फ़िलहाल यूपी और बिहार के लिए वहाँ की राज्य सरकारों से मंज़ूरी नही मिल सकी है।मध्यप्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा के लोगों को ही घर जाने की मंजूरी दी गई है। अहमदाबाद, सौराष्ट्र और राजस्थान की ओर जाने वाले लोगों के लिए कोसंबा के पास धामडोद चेकपोस्ट, मांखिंगा, महाराष्ट्र की ओर जाने वाले लोगों को लिए बारडोली तहसील के माणेकपोर और एमपी की ओर जाने वाले लोगों के लिए मांडवी तहसील के वाडी के पास चेकपोस्ट बनाई गई है।
सूरत में कपड़ा उधोग में बड़े पैमाने पर यूपी बिहार के लोग काम करते है लॉकडाउन में अब उनके पास घरखर्च चलाने के लिए रूपए नहीं होने से भोजन का इंतज़ाम भी नही कर पा रहे। ऐसे में वह वतन जाना चाहते है लेकिन वहाँ की सरकार से कोई जवाब नहीं मिलने के कारण वह निराश हो गए है।