ऑनलाइन शिक्षण के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर ख़तरा होता है। यह कारण बताते हुए ऑनलाइन पढाई पर रोक लगाने की माँग की जा रही है।सूरत ही नहीं बल्कि वे के कई राज्यों में एक तरह शिक्षण व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा किया गया है। सूरत में भी कुछ जानकार लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को मेल भेजकर इस व्यवस्था पर रोक लगाने की माँग की है
लॉकडाउन के कारण बीते दिनों सब कुछ बंद होने से कई स्कूलों में ऑनलाइन एजुकेशन देना शुरू किया था। लेकिन इसके खिलाफ अभिभावकों में विरोध और असंतोष खड़ा हो रहा है। बिजली कंपनी में बड़े पद निवृत्त भूपेंद्र बुरखा वाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासामा को मेल भेजकर ऑनलाइन एजुकेशन बंद करने की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि वर्तमान संजोग में विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन का बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है लेकिन उसके उपयोग में सावधानी रखनी जरूरी है। बच्चों पर इसका गंभीर असर पड़ने की आशंका है लोकडाउन के बाद काम धंधा शुरू हो गया है। ऐसे में बच्चों के साथ बहुत देर तक अभिभावक नहीं रह सकते घंटों पर छोटी स्क्रीन पर नजर केंद्रित करने से बच्चों के यहां काम को नुकसान पहुंच सकता है।
ऑनलाइन एजुकेशन में कई बातें नहीं समझ पड़ने पर भी बच्चे किसी से पूछ नहीं सकते हैं। इसके अलावा उन पर मानसिक दबाव बनता है। यदि किसी के दो तीन बच्चों हो तो उनके लिए मोबाइल या कंप्यूटर आदि उपलब्ध करा पाना मुश्किल है। ऑनलाइन शिक्षण के साथ भेजी जाती भेजी जाने वाली पीडीएफ फाइल के प्रिन्ट का खर्च उठा पाना सबके बस की बात नहीं। इसलिए ऑनलाइन एजुकेशन को बंद करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कई राज्य सरकारों ने इस बारे में विचार करना भी शुरू कर दिया है। कई शहरों में छोटे बच्चों के ऑनलाइन पढाई पर रोक लगाने के लिए भी सोचा जा रहा है। किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं।एक अच्छा और दूसरा बुरा होता है। इसी तरह डिजीटलाइजेशन का भी दो रूप है एक लाभदायक है और दूसरा नुक़सानदायक!